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Kannada Writer Banu Mushtaq Wins Booker Prize 2025 For The Book Heart Lamp – Amar Ujala Kavya

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                            भारत की कन्नड़ भाषा की लेखिका बानू मुश्ताक़ को साल 2025 का बुकर सम्मान मिला है। यह पहली बार है जब कन्नड़ भाषा की किताब को यह सम्मान मिला है। बानू मुश्ताक़ ने यह इतिहास अपनी कहानियों की किताब 'हार्ट लैंप' के लिए रचा है। दीपा भष्ठी ने किताब को अंग्रेज़ी में अनूदित किया था। बीते मंगलवार 20 मई को रात टेट मॉडर्न में हुए एक समारोह में अपनी अनुवादक दीपा भष्ठी के साथ बानू ने पुरस्कार प्राप्त किया। 
                                                                 
                            

1948 को कर्नाटर में पैदा हुई बानू लेखिका होने के साथ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। अंग्रेज़ी के अलावा उनका काम उर्दू, हिंदी, तमिल और मलयालम में भी अनूदित हो चुका है। बहुत कम उम्र से ही लिखने वाली मुश्ताक़ पत्रकार भी रह चुकी हैं लेकिन उन्होंने 29 साल की उम्र में उन्होंने अपने अनुभवों को पेशेवर तरीके से लिखना शुरु कर दिया था। उनकी कहानियां महिला जीवन की तमाम समस्याओं को इंगित करती हैं। कहानियों के अलावा उपन्यास, निबंध और कविता भी लिखे, इसके साथ उनकी किताब कारी नागरागालू पर 2003 में फ़िल्म हसीना भी बनी है। 

12 कहानियों का संग्रह हार्ट लैंप दक्षिण भारत की पितृसत्तात्मकता की व्यथा है। इन कहानियों के दीपा भष्ठी ने 2022 से अनूदित करना शुरु किया था। किताब में 1990 से लेकर 2023 तक की लिखी कहानियों का संग्रह है। कुल मिलाकर यह किताब 30 साल के अधिक समय में लिखी गई है। 

बुकर 2025 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष लेखक मैक्स पोर्टर ने कहा कि कई साल बाद 'हार्ट लैंप' अंग्रेजी पाठकों के लिए कुछ नया लेकर है ।यह अनुवाद की हमारी समझ को चुनौती देता है और उसे अच्छा करना में बेहतर करता है। 

बानू मुश्ताक़ ने कहा कि यह विविधता की जीत है। 

19 मिनट पहले



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