महाराष्ट्र सरकार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की मुंबई और राज्य के अन्य हिस्सों की यात्रा के दौरान आधिकारिक शिष्टाचार का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत सीजेआई को स्थायी राजकीय अतिथि नामित किया गया है। राज्य सरकार की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीजेआई बीआर गवई को अब आधिकारिक तौर पर महाराष्ट्र में स्थायी राजकीय अतिथि के रूप में नामित किया गया है।
21 साल पुराने नियमों का हवाला दिया
राज्य सरकार ने इस फैसले के लिए राज्य अतिथि नियम, 2004 का हवाला दिया है। लेकिन माना जा रहा है कि राज्य की ओर से यह कदम सीजेई गवई की ओर से उनकी यात्रा के दौरान प्रोटकॉल उल्लंघन पर नाराजगी व्यक्त किए जाने के बाद उठाया गया है। सीजेआई बनने के बाद जस्टिस गवई रविवार को पहली बार मुंबई आए, तब उनकी अगवानी के लिए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या मुंबई पुलिस के आयुक्त में से कोई भी उपस्थित नहीं था। राज्य के कैबिनेट मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस प्रोटकॉल चूक के लिए सीजेआई को फोनकर माफी मांगी थी। हालांकि, मामला तूल पकड़ने पर सीजेआई गवई ने प्रोटोकॉल चूक को मामूली बात बताया और कहा कि इसे तूल न दिया जाए और मामला यहीं समाप्त किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में बताया कि सभी संबंधित अधिकारी खेद जता चुके हैं।
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क्या है राज्य अतिथि नियम
महाराष्ट्र राज्य अतिथि नियम, 2004 के अनुसार, घोषित राज्य अतिथि की सूची में शामिल गणमान्य व्यक्तियों या ऐसे माने जाने वाले गणमान्य व्यक्तियों को राज्य प्रोटोकॉल उप-विभाग की ओर से हवाई अड्डों पर स्वागत और विदाई की व्यवस्था की जाती है। जिला स्तर पर जिला कलेक्टर कार्यालय नामित प्रोटोकॉल अधिकारियों के माध्यम से इसी प्रकार की व्यवस्था सुनिश्चित करता है। इसके अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश को राज्य अतिथि नियम, 2004 के अनुसार सभी प्रोटोकॉल संबंधी सुविधाएं प्राप्त होती रहेंगी, जिसमें यात्रा के दौरान आवास, वाहन व्यवस्था और पूरे राज्य में सुरक्षा शामिल है।
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मामूली मुद्दे को अनावश्यक तूल न दें
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि सीजेआई की महाराष्ट्र यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल से जुड़ी खबरें मीडिया में प्रकाशित हो रही हैं। सभी संबंधित लोग पहले ही खेद जता चुके हैं। सीजेआई ने कहा है कि यह एक मामूली मुद्दा है, इसे अनावश्यक रूप से तूल न दिया जाए। सीजेआई ने सभी से आग्रह किया है कि इस मामले को अब समाप्त मान लिया जाए।