‘ISRO के सैटेलाइट से रक्षा बलों को मिली ‘परफेक्ट इंटेलिजेंस’, अंतरिक्ष मिशन को लेकर बोले चेयरमैन नारायणन – ISROs satellite worked perfectly to assist Defence Forces in providing intelligence says Chairman Narayanan ntc
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस. नारायणन ने गुरुवार को कहा कि देश की रक्षा सेनाओं को ‘सटीक खुफिया जानकारी’ देने में ISRO के उपग्रहों ने अभूतपूर्व योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि सभी उपग्रह बिना किसी तकनीकी बाधा के बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं और यह भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है.
नारायणन ने कहा, “जब हमने शुरुआत की थी, तब हमारे कैमरों की रेज़ोलूशन 36 से 72 सेंटीमीटर के बीच थी, लेकिन आज भारत के पास चंद्रमा पर मौजूद एक ऐसा कैमरा है- On-Orbiter High Resolution Camera—जिसकी गिनती दुनिया के सबसे उच्च गुणवत्ता वाले कैमरों में होती है.”
भारतीय रक्षा बलों को इसरो की सहायता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने आगे कहा कि ISRO के पास अब ऐसे कैमरे भी हैं जो 26 सेंटीमीटर तक की स्पष्टता से पृथ्वी की सतह को देख सकते हैं, जिससे रक्षा बलों को रणनीतिक बढ़त मिलती है.
यह भी पढ़ें: ISRO’s NVS-02 Mission: ऑर्बिट में फंसा इसरो का सैटेलाइट, प्रोपल्शन सिस्टम फेल
ISRO प्रमुख ने साफ किया कि संगठन किसी भी देश से प्रतिस्पर्धा की भावना नहीं रखता, बल्कि उसकी सारी ऊर्जा भारत के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में लगी रहती है. उन्होंने कहा, “हम जो भी सैटेलाइट लॉन्च करते हैं, उनका सीधा संबंध देश की जनता के फायदे से होता है- चाहे वो संचार हो, टेलीविज़न प्रसारण हो, या फिर सुरक्षा और आपातकालीन सेवाएं.”
नारायणन के मुताबिक, वर्तमान में कम से कम 50 उपग्रह देश में टेलीविजन ब्रॉडकास्ट, टेलीकॉम, सुरक्षा और निगरानी जैसी सेवाओं में सक्रिय हैं. उन्होंने बताया कि ISRO अब मंगलयान मिशन की सफलता के बाद एक लैंडिंग मिशन की तैयारी कर रहा है, जिसकी लॉन्चिंग अगले 30 महीनों के भीतर की जाएगी.
ISRO प्रमुख गुरुवार को राजधानी पहुंचे, जहां आगामी PSLV C-61 रॉकेट मिशन की तैयारियों का जायजा लिया जा रहा है. यह भारत का 101वां अंतरिक्ष अभियान होगा, जो आने वाले समय में देश की अंतरिक्ष शक्ति को और मजबूत करेगा.
यह भी पढ़ें: इसरो को जल्द मिलेगा श्रीहरिकोटा में तीसरा लॉन्च पैड, मोदी कैबिनेट ने 3,984 करोड़ के प्रोजेक्ट को दी मंजूरी
उनके इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि ISRO की तकनीकी ताकत न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों तक सीमित है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने में भी अहम भूमिका निभा रही है.