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हुमा कुरैशी ने कैसे ब्रेक किया स्टीरियोटाइप? मिली ‘यंग गर्ल’ का किरदार निभाने की सलाह – Huma qureshi on getting stereotyped playing young girl character ott as game changer india today conclave tmova

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बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी स्टीरियोटाइप्स को ब्रेक करने के लिए जानी जाती हैं. एक्ट्रेस दुबई में हुए इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल हुईं जहां उन्होंने स्टीरियोटाइप होने से लेकर बिजनेसवुमन बनने और महारानी सीरीज को लेकर बातचीत की. हुमा ने बताया कि उनका फिल्मी सफर आसान नहीं रहा है. कई बार ब्यूटी स्टैंडर्ड्स और निभाए गए किरदार को वो खुद को खोया हुआ महसूस कर चुकी हैं. 

स्टीरियोटाइप कैसे ब्रेक करती हैं?

हुमा ने कहा- मेरा जिद्दी होना ही इसकी वजह है शायद. जब भी कोई मुझे कहता है कि तुम ये नहीं कर पाओगी, तुम ये नहीं कर सकती, तुम्हें ये नहीं करना चाहिए, तो मैं पूछती हूं कि क्यों नहीं. कभी भी कोई मुझे किसी ढांचे में ढालने की कोशिश करता है तो मैं कहती हूं क्यों? हो सकता है लोगों को लगता हो कि ये किरदार ये नहीं निभा सकती. तभी मुझे और हिम्मत मिलती है कि मैं आगे और कुछ कर गुजरूं. मेरे फैसले उसी पर निर्भर करते हैं. 

ब्यूटी स्टैंडर्ड्स पर दिया रिएक्शन

हंसते हुए हुमा ने पहले तो कहा कि हो सकता है वो मेरे टैलेंट को देखकर हैरान हो जाते हों और किसी चीज पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता. लेकिन मेरी जर्नी आसान नहीं रही है. लेकिन तरीका यही है कि अपने आप से सच कहो. मैंने ये बहुत जल्दी रियलाइज कर लिया था कि अगर मैं किसी और ब्यूटी स्टैंडर्ड के आइडिया में फिट होने की कोशिश करूंगी तो फेल हो जाऊंगी. अगर मैं मछली हूं तो मैं पेड़ नहीं चढ़ सकती. लेकिन मैं बहुत अच्छा स्विम करके दिखाऊंगी. तो एक आर्टिस्ट होने के नाते मेरी अलग पहचान है. अब अगर मैं किसी और के पोस्टर्स देखकर ये सोचूं कि अरे मैं वैसा नहीं कर सकती, मैं वैसी नहीं दिखती या बात करती तो इसका कोई मतलब नहीं है. तो मैं किसी और के आइडियाज को क्यों अपनाऊं. 

जैसा कि मैंने कहा कि ये सफर आसान नहीं रहा है. मैं कन्फ्यूज्ड रही हूं, कभी खो भी गई हूं. मैंने अपने हिस्से की गलतियां की हैं. मैंने भी कई लोगों की ओर देखकर ये कहा है कि देखों इन्हें कितने मौके मिल रहे हैं. तो मैं भी अगर उनकी तरह वैसा फिगर कर लूं. वैसा चेहरा बना लूं, वैसे बात करने लगूं तो मुझे भी वो मौके मिल जाएंगे. लेकिन फिर मैं खुद को खो दूंगी. तो जबसे मैंने खुद के जिद्दीपने की आवाज को सुनना शुरू किया है- कि नहीं मुझे ये ऐसे ही करना है, तबसे सब कुछ ठीक रहा है. 

इंडस्ट्री में आसान नहीं है मौके मिलना

हुमा ने कहा- यहां ना हमेशा से एक ऑप्शन को तैयार रखा जाता है. वो गेटकीपिंग किसी एक इंसान या एजेंसी या प्रोड्यूसर से नहीं आता है. वो एक डायरेक्टर की सोच से आता है. कौन उस किरदार को डिजर्व करता है, कौन इसे रिप्रेजेंट कर सकता है. कौन उस स्पॉटलाइट को कैप्चर कर सकता है. अगर आज मैं बात करूं अपने बिजनेस के ग्रो करने की तो आज भी मुझे बहुत सारे रूम्स का एक्सेस नहीं मिला है. बहुत सारे पार्ट हैं जो मैं कर सकती हूं लेकिन मुझे अप्रोच नहीं किया गया. तो मैं क्या करूं- रोऊं घर पर बैठ कर कि हाय मुझे मौका नहीं मिल रहा है. नहीं, मैं बाहर निकलूंगी और वो कहानी कहूंगी जो मैं कहना चाहती हूं. मैं अपने तरीके से चूज करूंगी मुझे जिन फिल्म मेकर्स के साथ काम करना है. 

इसी के साथ हुमा ने एक इंटरेस्टिंग स्टोरी भी सुनाई. वो बोलीं कि महारानी के सक्सेस के बाद मैं तरला दलाल फिल्म की थी, जिसके लिए मुझे खूब तारीफें मिली थी. उसके कास्टिंग डायरेक्टर्स ने मुझे कॉल किया हाल ही में और कहा कि तुम इतनी अच्छी और सुंदर महिला हो, क्यों तुम ऐसे उम्रदराज महिलाओं के किरदार निभा रही हो. बहुत से और मेकर्स हैं जो तुम्हारे साथ काम करना चाहते हैं, क्यों तुम उनसे बात क्यों नहीं करती. क्यों तुम यंग लड़कियों के रोल नहीं निभाती. तब मैं सोच में पड़ गई कि क्यों यंग पार्ट निभाना ही हीरोइन से उम्मीद की जाती है. मुझे हालांकि इससे कोई दिक्कत नहीं है, मैंने ऐसे रोल किए भी हैं जहां लड़किया पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचती हैं, छोटे स्कर्ट पहनकर, लेकिन अगर मुझे अच्छी स्क्रिप्ट मिलती है तो मैं करूंगी. लेकिन सिर्फ इसलिए कर लूं क्योंकि मुझे उम्रदराज महिला का किरदार निभाने में डर लगता है? 

दरअसल दिक्कत क्या है कि या तो मैं मल्टीपल कॉस्मेटिक सर्जरी कराके घर पर बैठ सकती हूं, और इंतजार कर सकती हूं कि उन कुछ फिल्म मेकर्स के कॉल करने का, या फिर मैं जा सकती हूं उन फिल्म मेकर्स के पास जो उस तरह की स्क्रिप्ट लिखते हैं और वो मेरे साथ काम करना चाहते हैं. यही बहुत बड़ा शिफ्ट है जब आप अपनी लाइफ को कंट्रोल करना सीख जाते हो.

ओटीटी बना गेम चेंजर 

हुमा बोलीं- बिल्कुल हां, 100 परसेंट, मैं भारत के उन पहले एक्टर्स में से हूं जिन्होंने ओटीटी को हां किया था. मैंने पहला फीमेल लीड शो किया था जिसका नाम था- लैला. इसके बाद महारानी. ये शायद अब तक का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला शो है, ओटीटी पर. लेकिन मुझे लगता है अब हम ओटीटी 2.0 एरा में जा चुके हैं, जहां हमें सोचना होगा कि हम क्या कहानी पेश कर रहे हैं. किस तरह की कहानी हम लोगों को दिखाना चाहते हैं. क्योंकि जैसा कि मैंने कहा था कि हर जगह गेटकीपर्स होते हैं. तो हमें सोचना होगा कि चेंज कहा से आता है. कई लोगों को मौका नहीं मिल पाता है. जैसे जयदीप अहलावत को देख लीजिए वो कितने जबरदस्त एक्टर हैं. उनका पाताल लोक सीरीज कितना हिट था. प्रतीक गांधी हैं, शेफाली शाह हैं, रवीना टंडन, इन्हें ओटीटी ने जैसे नई जिंदगी दी है. ओटीटी में जो मौके हैं वो कहीं और नहीं हैं. 

सक्सेस रेट्स तो हर जगह ही देखने पड़ते हैं. और ओटीटी तो बहुत डाटा पर काम करता है. बहुत सारे फीमेल लीड शोज और सीरीज अच्छा काम करते हैं. लेकिन मैं आपको एक काम की बात बताती हूं. मैंने महारानी सीरीज की, वो सबसे मोस्ट लव्ड शो है लेकिन क्या मुझे मेरे मेल काउंटर पार्ट्स के जितनी सैलरी मिली, ओटीटी पर? नहीं. सच्चाई इससे कहीं परे हैं. ये वो चीज है जिसपर अभी भी काम होना बाकि है. इस पर बात की जानी चाहिए. यही सच्चाई है. मैं उस शो लीड हूं मुझे अच्छा पे पैकेज मिला लेकिन मैं अगर किसी और शो से उसे कम्पेयर करूं तो मेरा महनताना कम है. अगर मेरी जगह कोई मेल एक्टर होता तो उसका पैकेज अलग होता. कभी मैं सुनती हूं कि उस प्रोजेक्ट के लिए उसे 45 करोड़ मिले तो मैं सोचती हूं कि भई क्यों? इसे बदलने के लिए हम सबको एकजुट होना होगा, ये किसी एक के कहने से नहीं होगा. 

महारानी से सीखी राजनीति?

हुमा बोलीं- मैं राजनीति से बहुत-बहुत दूर हूं. ये बहुत अजीब वजह है कि लोग सोचते हैं कि मैंने रानी भारती का कैरेक्टर निभाया है तो मुझे राजनीति की भी बहुत अच्छी समझ होगी, मैं सारी रणनीति जानती होंगी. लेकिन नहीं मैं इससे बहुत दूर हूं. मैं किसी भी आराम कुर्सी की तरह हूं. बाकी लोगों जैसे. मेरे हिसाब से रानी भारती की स्टोरी बहुत अंडर डॉग रही है. वो उन परेशानियों में ही जन्मी है. जिस तरह से वो बात करती है, वो किसी प्रॉब्लम में फंसी है, कुछ नहीं समझ आ रहा है तो पूछन में झिझकती नहीं है. 

मैं कोई भी कैरेक्टर प्ले करती हूं तो मजे से करती हूं. मुझे खुद को रिपीट करना पसंद नहीं है. मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे बहुत डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के साथ काम करने का मिला. हां मैंने बहुत ज्यादा डांस पार्ट नहीं निभाए हैं. अब कोशिश करूंगी. मैं बहुत अच्छी डांसर हूं. मैं कोई भी किरदार निभाने के लिए तैयार हूं. मैं गंगुबाई में कव्वाली करके भी खुश थी. मॉनिका ओ माय डार्लिंग जो फिल्म थी, मैंने डायरेक्टर से कहा था कि इस किरदार को कोई भी निभा सकता था, लेकिन जैसे मैंने निभाया था वैसा सिर्फ मैं ही कर सकती थी. एक आर्टिस्ट होने के नाते अपना छाप छोड़ना ही मेन काम है. मैं क्रिस्टोफर नोलन के साथ काम करना पसंद करूंगी. 

हुमा ने बताया कि मैं भारत के जुड़ी हूं. मैं हॉलीवुड और बॉलीवुड में नहीं मानती मुझे अच्छे स्क्रिप्ट्स से मतलब है. मेरी प्रोडक्शन कंपनी भी एक साई-फाई फिल्म पर काम कर रही है. हुमा अब एक एक्ट्रेस होने के साथ-साथ प्रोड्यूसर भी हैं. वो अपने भाई साकिब के साथ मिलकर इसमें काम करती हैं. हुमा ने कहा कि वो पहले मुंबई आई साकिब छोटा भाई होने के नाते पीछे-पीछे आ गया. हालांकि फिर उन्होंने कहा कि पहले सही में मैंने डिसाइड किया था कि एक्टिंग करनी है, मैंने थियेटर भी किया. वो कॉलेज में था. लेकिन उसे अच्छा ब्रेक मिला, उसने YRF की मुझसे फ्रैंडशिप करोगी. 

मल्टीपल बिजनेस की मालकिन हैं हुमा

हुमा ने बताया कि वो कोविड के दौरान जेबा बुक लिख चुकी हैं क्योंकि उनके फ्रेंड्स शादी कर रहे थे. तो उनकी बुक उनका बेबी है. हुमा के इसी के साथ होटल के बिजनेस में भी शामिल हैं. वो ब्यूटी ब्रांड से भी जुड़ी हैं इसी के साथ वो साड़ी ब्रांड भी शुरू करने वाली हैं. 

इसी के साथ हुमा ने रैपिड फायर के दौरान बताया कि वो गैंग्स ऑफ वासेपुर का मोहसिना कैरेक्टर वापस से प्ले करना चाहेंगी. क्योंकि तब वो बहुत नई और मासूम थीं. इसी के साथ वो बोलीं कि मैं मीना कुमारी की बायोपिक करना जरूर चाहूंगी. हुमा ने कहा कि वो टाइटैनिक फिल्म का हिस्सा बनना चाहती हैं. ये कहते हुए उन्होंने हिंट दिया कि वो हॉलीवुड में काम करना चाहती हैं. 



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