भारत की स्वामित्व योजना का डंका अब विश्व बैंक भूमि सम्मेलन-2025 के प्रतिष्ठित मंच पर भी गूंज रहा है। वाशिंगटन डीसी में आयोजित कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने ‘भूमि स्वामित्व और शासन सुधार में अच्छी प्रथाएं और चुनौतियां’ विषय पर भारत की भूमि अधिकार, स्वामित्व सुधार और प्रौद्योगिकी आधारित भूमिका पर वकतव्य दिया।
पंचायती राज सचिव भारद्वाज ने मंगलवार को अपने भाषण में बताया कि ‘स्वामित्व योजना’ के जरिये भारत ने गांवों की जमीन की मैपिंग और रिकॉर्डिंग की है। इसके लिए ड्रोन जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है और जरूरी कानूनी बदलाव भी किए गए हैं। भारद्वाज ने बताया कि यह योजना भारत के सभी राज्यों के साथ मिलकर चलाई जा रही है, जिसमें सरकार, समाज और लोगों की भागीदारी अहम है।
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68000 वर्ग किलोमीटर जमीन का हो चुका सर्वेक्षण
सचिव भारद्वार ने पेरू के अर्थशास्त्री हर्नांडो डी सोटो का जिक्र करते हुए कहा कि जमीन पर अधिकार न होने से उसकी आर्थिक क्षमता बर्बाद हो जाती है। भारत में अब तक 68,000 वर्ग किलोमीटर जमीन का सर्वेक्षण हो चुका है, जिससे करीब 1.16 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति का मूल्य सामने आया है। इससे गांवों के लाखों लोगों को जमीन पर मालिकाना हक मिला है और उन्हें बैंक से कर्ज लेने और आगे बढ़ने का मौका मिला है।
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आज स्वामित्व योजना के डिजाइन और प्रभाव पर सत्र
बृहस्पतिवार को एक विशेष कार्यक्रम, जिसका शीर्षक ‘एक अरब लोगों के लिए भूमि अधिकारों की सुरक्षा’ पर एक सत्र का आयोजन किया जाएगा। इसमें पंचायती राज मंत्रालय के नेतृत्व में सत्र की शुरुआत विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. क्लॉस डब्ल्यू डीनिंगर से होगी, जिसके बाद विश्व बैंक के डीईसीवीपी के वरिष्ठ सलाहकार सोमिक वी. लाल द्वारा परिचय दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में स्वामित्व योजना के डिजाइन और प्रभाव पर रोशनी डाली जाएगी।
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