Shashi Tharoor Congress nationalism Rahul Gandhi – कांग्रेस को शशि थरूर जैसे नेता की ही जरूरत है, शायद राहुल गांधी को नहीं – shashi tharoor congress leadership all party delegation rahul gandhi opnm1

शशि थरूर कांग्रेस में वन-मैन-आर्मी की तरह नजर आते हैं. हमेशा ही विरोधियों के निशाने पर रहे हैं, लेकिन कोई उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाता. कैटल क्लास विवाद से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने तक, और अब पाकिस्तान के खिलाफ विदेश दौरे पर जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने तक – शशि थरूर के खिलाफ पूरा माहौल बन जाता है, लेकिन उनकी राजनीतिक सेहत पर शायद ही कभी कोई फर्क पड़ा हो.
ऐसा लगता है, शशि थरूर अपनी राजनीति के बेहतरीन दौर में पहुंच चुके हैं. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी शशि थरूर को हाथोंहाथ ले रही है, और कांग्रेस उनके खिलाफ कोई एक्शन भी नहीं ले पा रही है. ऐसे दौर में जब केरल में अगले ही साल विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, और प्रियंका गांधी वाड्रा भी वायनाड से सांसद बन चुकी हैं – शशि थरूर एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर पहुंच गये हैं.
कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक और झटका केरल से ही मिला है. केरल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सीनियर नेता के सुधाकरन ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए शशि थरूर के नाम की सिफारिश न किये जाने पर सवाल उठाया है. सुधाकरन ने कांग्रेस के फैसले को शशि थरूर का अपमान बताया है.
सुधाकरन का कहना है, शशि थरूर एक सक्षम नेता और कांग्रेस के वफादार सदस्य हैं… उन्हें इस तरह अलग-थलग करना ठीक नहीं है. सुधाकरन ने थरूर के पार्टी छोड़ने की अफवाहों को भी गलत बताया है, और कहा है कि शशि थरूर से उनकी बात हुई है और उनको यकीन है कि वो कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे.
1. राष्ट्रवाद का मुद्दा कांग्रेस के लिए फिलहाल बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे से भी बड़ी चुनौती है. ऐसे में अगर कांग्रेस शशि थरूर के साथ बनी रहती तो फायदा ही होता. जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे कई नेताओं को गंवा चुकी कांग्रेस को भी ये बात समझ में जरूर आ रही होगी. अगर अब भी नहीं समझ में आ रही हो, तो आगे चलकर पछताना भी तय ही है.
क्या पता आने वाले दिनों में हालात ऐसे बनें कि शशि थरूर भी ऐसा वैसा कोई फैसला ले लें, जिसका कांग्रेस को हमेशा ही अफसोस होता रहे. शशि थरूर की सचिन पायलट जैसी विधायकों को जुटाने की जिम्मेदारी तो है नहीं? वो तो जब चाहें, दरवाजा खोलकर निकल सकते हैं.
2. मालूम नहीं राहुल गांधी को ये पता है भी या नहीं कि शशि थरूर को भी कांग्रेस ही पसंद है. वो कह चुके हैं कि जब संयुक्त राष्ट्र से वो लौटकर आये थे, तो दोनो विकल्प थे, लेकिन बीजेपी की जगह कांग्रेस को चुना.
3. ये शशि थरूर ही हैं जब कांग्रेस से दूर जा चुके वोटर को साथ लाने की बात करते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान शशि थरूर ने ये बात कही थी, राहुल गांधी आज की तारीख में वही काम कर रहे हैं, और कांग्रेस की गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं.
4. शशि थरूर को भले ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े देख राहुल गांधी का गुस्सा फूट पड़ता हो, लेकिन वो राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर ही ऐसी बातें करते हैं. शशि थरूर की एक सलाह ये भी है कि बीजेपी सरकार की नीतियों की आलोचना की जाये, न कि उनके खिलाफ निजी हमले किये जायें. मुश्किल ये है कि ऐसे सुझाव कांग्रेस में भला किसे मंजूर होगा, जबकि सच्चाई ये है कि ये मान ले तो कांग्रेस की भलाई है.
5. शशि थरूर भी कांग्रेस के जी-23 ग्रुप में शामिल रहे हैं. आखिर ये ग्रुप क्या मांग कर रहा था, एक स्थाई अध्यक्ष की तो डिमांड थी. लेकिन, गांधी परिवार के चापलूस उनके ही पीछे पड़ गये. अगर वो वाकया नहीं हुआ होता, तो मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष नहीं बने होते – और जो फायदा हो रहा है, कांग्रेस को अब भी नहीं मिलता.
शशि थरूर 2009 से लोकसभा सांसद हैं. 2014 में जब कांग्रेस सबसे कम नंबर पर सिमट गई थी, तब भी वो लोकसभा पहुंचे थे. और, 2024 में बीजेपी की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर जैसी चुनौती को शिकस्त देकर सांसद बने हुए हैं – अब कांग्रेस को ये सब ठीक लगे या नहीं ये तो पार्टी और राहुल गांधी को ही तय करना है.
वैसे एक मलयालम पॉडकास्ट में शशि थरूर कह चुके हैं, अगर मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है, तो मेरे पास बहुत विकल्प हैं… अगर पार्टी मेरा इस्तेमाल करना चाहती है, तो पार्टी के लिए मौजूद हूं… अगर नहीं तो मेरे पास करने के लिए मेरी चीजें हैं… आपको नहीं सोचना चाहिये कि मेरे पास दूसरे विकल्प नहीं हैं.
केरल कांग्रेस के नेता के. सुधाकरन की बात, चुनावी राज्य से उठी एक आवाज है. हो सकता है अभी वो आवाज हल्की लग रही हो, लेकिन वक्त बदलते देर नहीं लगती. कब वो आवाज मजबूत हो जाये, किसी को नहीं मालूम. मुमकिन है, कांग्रेस को ये बात अच्छी तरह समझ आ रही होगी, हो सकता है राहुल गांधी को ऐसी बातों में कोई दिलचस्पी न हो.