Dangerous Pakistan Geolocation – बाढ़-पहाड़-पठार और मुल्क का बंटाधार… PAK की लोकेशन है कि दोधारी तलवार! – Pakistan geography is a double edged sword prone to floods mountains and plateaus yet strategically located

पाकिस्तान दक्षिण एशिया में स्थित एक ऐसा देश है, जिसकी भौगोलिक स्थिति सामरिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से जटिल और प्रभावशाली है. यह देश उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान, पश्चिम में ईरान, पूर्व में भारत, उत्तर-पूर्व में चीन और दक्षिण में अरब सागर से घिरा है.
इसकी भौगोलिक स्थिति इसे एक ओर सामरिक महत्व प्रदान करती है, तो दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं, क्षेत्रीय अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर करती है. पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल लगभग 7,96,095 वर्ग किलोमीटर है. यह विभिन्न प्रकार के भौगोलिक परिदृश्यों से मिलकर बना है.
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देश को निम्नलिखित प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है…
उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र: हिमालय, हिंदूकुश और काराकोरम पर्वत शृंखलाएं इस क्षेत्र में हैं. खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे प्रांतों को कवर करता है. ये पर्वत न केवल प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करते हैं, बल्कि भूकंप और भूस्खलन जैसे खतरों का कारण भी बनते हैं.
पश्चिमी पठारी क्षेत्र: बलूचिस्तान प्रांत इस क्षेत्र का हिस्सा है, जो पठारी और रेगिस्तानी है. यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों (जैसे तांबा, सोना और प्राकृतिक गैस) से समृद्ध है. लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा शुष्क और कम आबादी वाला है.
सिंधु नदी का मैदानी क्षेत्र: यह पाकिस्तान का सबसे उपजाऊ और घनी आबादी वाला क्षेत्र है. जो पंजाब और सिंध प्रांतों में फैला है. सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियां (झेलम, चिनाब, रावी, सतलज) इस क्षेत्र को कृषि के लिए महत्वपूर्ण बनाती हैं.
दक्षिणी तटीय क्षेत्र: यह क्षेत्र अरब सागर के साथ है, जहां कराची और ग्वादर जैसे महत्वपूर्ण बंदरगाह हैं. यह क्षेत्र सामरिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन चक्रवातों और समुद्री खतरों के प्रति संवेदनशील है.
रेगिस्तानी क्षेत्र: थार और चोलिस्तान जैसे रेगिस्तान दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में फैले हैं, जो जलवायु परिवर्तन और सूखे की चुनौतियों का सामना करते हैं.
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे जलवायु परिवर्तन, भूकंप, बाढ़ और क्षेत्रीय संघर्षों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है. यह देश मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सामरिक गलियारे के रूप में कार्य करता है.
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बलूचिस्तान से खतरा
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत (क्षेत्रफल के हिसाब से), प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद अशांति और विद्रोह का केंद्र रहा है. यह प्रांत ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं से सटा है और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. हालांकि, बलूचिस्तान से कई खतरे उभरते हैं…
विद्रोह और अलगाववाद: बलूच जनजातियां लंबे समय से केंद्र सरकार के खिलाफ विद्रोह करती रही हैं, क्योंकि उनका मानना है कि उनके संसाधनों का दोहन किया जा रहा है. प्रांत का विकास नहीं हो रहा. 1948 से शुरू हुआ यह विद्रोह आज भी बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों के माध्यम से सक्रिय है.
आतंकवाद और सीमा तनाव: बलूचिस्तान में चरमपंथी समूह सक्रिय हैं, जो पाकिस्तानी सेना और विदेशी परियोजनाओं (जैसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) को निशाना बनाते हैं. ईरान और अफगानिस्तान के साथ सीमा पर तनाव भी क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाता है.
संसाधनों का दोहन और सामाजिक असंतोष: रेको डिक खदान जैसे संसाधन वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षक हैं, लेकिन स्थानीय लोग इससे लाभान्वित नहीं हो पाते. इससे सामाजिक असंतोष और हिंसा बढ़ती है.
बलूचिस्तान की अशांति न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्रभावित करती है.
बाढ़ की समस्या
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है. सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियां देश की जीवनरेखा हैं, लेकिन मानसून की भारी बारिश और हिमनदों के पिघलने से बाढ़ का खतरा बढ़ता है. 2022 की विनाशकारी बाढ़ इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसमें देश का एक-तिहाई हिस्सा पानी में डूब गया. 1,300 से अधिक लोगों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हो गए. बुनियादी ढांचे, फसलों और मवेशियों को भारी नुकसान हुआ.
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बाढ़ के कारण…
- जलवायु परिवर्तन: पाकिस्तान वैसे तो 0.1% से कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सबसे अधिक झेलता है.
- अपर्याप्त जल प्रबंधन: बांधों और जलाशयों का अपर्याप्त प्रबंधन बाढ़ को और गंभीर बनाता है.
- शहरीकरण: अनियोजित शहरीकरण ने जल निकासी प्रणालियों को प्रभावित किया है.
बाढ़ ने विशेष रूप से सिंध और पंजाब के मैदानी क्षेत्रों को प्रभावित किया, जहां घनी आबादी और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है. इसके परिणामस्वरूप खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य जोखिम (मलेरिया, डेंगू) और आर्थिक संकट बढ़ा है.
रेगिस्तानी क्षेत्र
पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से, विशेष रूप से थार और चोलिस्तान रेगिस्तानी क्षेत्र हैं. ये क्षेत्र निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करते हैं…
- पानी की कमी: कम वर्षा और जल संसाधनों की कमी के कारण ये क्षेत्र सूखे का सामना करते हैं.
- कृषि सीमाएं: रेगिस्तानी मिट्टी और जल की कमी के कारण कृषि उत्पादन सीमित है, जिससे स्थानीय आबादी गरीबी और खाद्य असुरक्षा का शिकार है.
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: बढ़ता तापमान और अनियमित वर्षा रेगिस्तानीकरण को बढ़ा रही है, जिससे ये क्षेत्र और अधिक शुष्क हो रहे हैं.
पाकिस्तानी मीडिया ने भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के बाद चेतावनी दी है कि पानी की कमी से ये क्षेत्र थार रेगिस्तान में बदल सकते हैं. इससे भुखमरी का खतरा बढ़ सकता है.
रिहायशी इलाके
पाकिस्तान की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रिहायशी इलाकों में रहता है, विशेष रूप से कराची, लाहौर, फैसलाबाद और रावलपिंडी जैसे शहरों में. इन क्षेत्रों की स्थिति निम्नलिखित है…
अनियोजित शहरीकरण: तेजी से बढ़ती आबादी और अनियोजित शहरीकरण ने बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ाया है. बाढ़ और भूकंप जैसे खतरों के प्रति ये क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील हैं.
सुरक्षा चुनौतियां: बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में आतंकवादी हमले रिहायशी इलाकों को असुरक्षित बनाते हैं. हाल के सैन्य संघर्षों में रिहायशी क्षेत्रों पर ड्रोन हमले और बमबारी की खबरें सामने आई हैं.
स्वास्थ्य और स्वच्छता: 2022 की बाढ़ के बाद रिहायशी क्षेत्रों में स्वच्छ पानी और स्वच्छता की कमी ने स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाया. यूनीसेफ के अनुसार 1 करोड़ से अधिक लोग सुरक्षित पानी से वंचित हैं.
भारत को इसका फायदा
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और उससे उत्पन्न चुनौतियां भारत के लिए कई रणनीतिक और आर्थिक लाभ प्रदान करती हैं…
जल नियंत्रण
सिंधु, चिनाब, झेलम, रावी, ब्यास और सतलज नदियों का उद्गम भारत में है, जिससे भारत को जल नियंत्रण में लाभ प्राप्त है. हाल के वर्षों में, भारत ने बगलिहार और किशनगंगा जैसे बांधों के माध्यम से पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति पर दबाव बढ़ा है. 2025 में भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने से पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हुई है.
सामरिक लाभ
बलूचिस्तान की अशांति और पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता भारत को क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने का अवसर देती है. एक अस्थिर पाकिस्तान भारत के लिए पश्चिमी सीमा पर चुनौतियां बढ़ाता है, लेकिन यह भारत को चीन के साथ अपनी पूर्वी सीमा पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति भी देता है.
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आर्थिक अवसर
भारत जो 60-70 अरब डॉलर का रिफाइंड पेट्रोल और डीजल निर्यात करता है, पाकिस्तान के साथ व्यापार बढ़ाकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है. इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है और भारत को क्षेत्रीय बाजार में प्रभुत्व मिल सकता है.
मानवीय और कूटनीतिक लाभ
पाकिस्तान की प्राकृतिक आपदाओं (जैसे 2005 का भूकंप और 2010 की बाढ़) के दौरान भारत ने मदद की पेशकश की थी, जिससे उसकी वैश्विक छवि मजबूत हुई. भविष्य में ऐसी मदद भारत को कूटनीतिक लाभ दे सकती है.
क्षेत्रीय स्थिरता
एक स्थिर पाकिस्तान भारत के लिए दीर्घकालिक लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इससे आतंकवाद और अवैध प्रवास जैसे मुद्दों में कमी आएगी. भारत मानवीय आधार पर सहायता प्रदान कर क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है.