UP के रायबरेली में बड़ा फर्जीवाड़ा, 11 गांवों में बना दिया गया 52000 से ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र – Raebareli Big fraud more than 52000 fake birth certificates made in 11 villages Lcly

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का ऐसा मामला सामने आया है जहां हजार, 2 हजार फर्जी जन्म प्रमाण पत्र नहीं बल्कि 50 हजार से ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ एक ब्लॉक के 11 गांवों में बना दिए गए. कई तो उन गांव के जन्म प्रमाण पत्र बने जहां उस धर्म, जाति के लोग रहते ही नहीं हैं. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का यह मामला एटीएस की भी जांच का हिस्सा है. रायबरेली पुलिस इस मामले में अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. 1 साल की जांच के बाद अब डीजी, सीआरएस को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र रद्द करने के लिए कहा गया है.
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के इस पूरे फर्जीवाड़े को समझने के लिए ‘आजतक’ की टीम रायबरेली के उसे सलोन कस्बे पहुंची जहां से यह कहानी शुरू हुई. बताया जाता है कि बीते साल जुलाई महीने में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की यह कहानी रायबरेली के सलोन कस्बे में खुले मोहम्मद रियाज और उसके बेटे जीशान के जन सुविधा केंद्र से शुरू हुई. सलोन ब्लॉक के जिन गांवों में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बने, वह इसी जन सुविधा केंद्र से बनाए गए थे.
जिन गांवों में यह फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पकड़ में आया, वो ग्राम पंचायत सचिव विजय यादव के इलाके का बताया जा रहा है. जीशान के जिस मकान में जन सुविधा केंद्र खुला था, उसी में पंचायत सचिव विजय यादव किराए के मकान में रहता था. दोनों के बीच निकटता बढ़ी तो स्मार्ट फोन से दूर रहने वाले विजय यादव ने अपनी लॉगिन आईडी पासवर्ड के साथ-साथ सरकारी नंबर पर आने वाले किसी भी जन्म प्रमाण पत्र का ओटीपी जीशान को देने लगा था.
सलोन के जिस जन सुविधा केंद्र से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाते थे, वहां से ‘आजतक’ टीम पहुंची प्रतापगढ़-प्रयागराज हाइवे के किनारे बसे नूरुद्दीनपुर गांव. नूरुद्दीनपुर गांव पहुंचकर टीम ने सबसे पहले क्षेत्र पंचायत सदस्य और प्रधान पति भूपेंद्र सिंह से मुलाकात की. उनसे हमारा सीधा सवाल था कि नूरुद्दीनपुर में जनसंख्या कितनी है. भूपेंद्र सिंह का जवाब सुनकर हम भी चौंक गए. उनका कहना था कि नूरुद्दीनपुर ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या ही 8000 है. जबकि जांच में नूरुद्दीनपुर गांव के पते पर 10151 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पाए गए. भूपेंद्र सिंह का तो यहां तक कहना है कि जो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए उसमें ज्यादातर मुसलमानों के हैं.
सबसे बड़ी बात जिन लोगों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए, उनमें से ना तो कोई गांव में रहता है और ना ही कोई उनको जानता है. ताज्जुब की बात कि यह जन्म प्रमाण पत्र 5 साल से लेकर 18 से 19 साल के नौजवानों के तक बने हैं. क्षेत्र पंचायत सदस्य भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि यह सब ऑनलाइन सुविधा का खेल है. पहले जब परिवार रजिस्टर से मिलान होता था तो प्रधान को भी पता था कि किसके घर में बच्चा पैदा हुआ किसके घर में मातम है. लेकिन अब तो सब कुछ ऑनलाइन है तो कंप्यूटर पर ही जन्म प्रमाण पत्र बन रहे हैं, हमें तो पता ही नहीं चलता.
सलोन ब्लॉक के 11 गांवों में बने 52594 फर्जी प्रमाण पत्र
पालहीपुर- 13707
नूरुद्दीनपुर- 10151
पृथ्वीपुर- 9393
सांडा सैदन- 4897
माधवपुर निनईया- 3746
लहूरेपुर – 3780
सिरसिरा – 2773
गढ़ी इस्लामनगर- 2255
औनानीश- 1665
गोपालपुर उर्फ अनंतपुर- 225
दुबहन- 2
बिहार तक फैला है फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का रैकेट
पुलिस ने इस मामले में बीते जुलाई 2024 में सलोन कस्बे में जन सुविधा केंद्र संचालक जीशान, रिजवान और ग्राम पंचायत सचिव पर एफआईआर दर्ज कर पड़ताल की तो पता चला इसके तार रायबरेली के साथ-साथ आजमगढ़, कुशीनगर के अलावा बिहार में भी फैला है. रायबरेली पुलिस ने इस मामले में दरभंगा के रहने वाले रविकेश और सोहेल समेत कुल 18 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. जबकि 16 पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की है.
हालांकि रायबरेली पुलिस ने इस मामले में जांच की तो पता चला फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के इस खेल में सिर्फ लालच ही एक कारण था. तमाम लोगों को एड्रेस प्रूफ व स्कूल में बच्चों के एडमिशन के लिए जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत हुई तो एक बार ग्राम पंचायत सचिव के मोबाइल पर आया ओटीपी 24 घंटे एक्टिव रहने की कमी का फायदा उठाया और मनमाने ढंग से जन्म प्रमाण पत्र बना दिए गए. हालांकि रायबरेली जिला प्रशासन ने महानिदेशक, जन्म मृत्यु पंजीकरण निदेशालय को 52594 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र रद्द करने की रिपोर्ट भेज दी है.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जिनके जन्म प्रमाण पत्र बने, वह लोग असल में कहां हैं? वह भारत के नागरिक हैं या फिर भारत में चोरी छुप कर रह रहे बांग्लादेशी या फिर रोहिंग्या हैं? फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का यह मामला सिर्फ फर्जीवाड़ा है या फिर कोई लंबी गहरी साजिश, अब पड़ताल एटीएस व अन्य जांच एजेंसियों को करनी है.