caste census nitish modi bihar election tejashwi – बीजेपी के जाति जनगणना के दांव ने बढ़ा दिया है नीतीश कुमार का महत्व – caste census step by modi bjp government before bihar election has revived Nitish Kumar political impact opnm1

जाति जनगणना के फैसले में आने वाले बिहार चुनाव की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है – और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसा काम पहले ही करा चुके हैं. भले ही वो मामला अदालत की कानूनी दांवपेच में उलझ गया हो, लेकिन नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 फीसदी करने के प्रस्ताव को नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के पास तो भेजा ही था.
नीतीश कुमार ने भी जाति जनगणना के फैसले का लालू यादव की ही तरह अपनी पुरानी मांग बताते हुए स्वागत किया है. सोशल साइट X पर नीतीश कुमार लिखते हैं, जाति जनगणना कराने की हम लोगों की मांग पुरानी है. यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है. जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी. देश के विकास को गति मिलेगी.
देश में न सही, लेकिन बिहार में जाति सर्वे शुरू कराने का श्रेय तो नीतीश कुमार को ही जाता है. नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के साथ मिलकर मुहिम चलाई थी, और प्रधानमंत्री से मिलने गये तो बीजेपी को भी प्रतिनिधिमंडल में अपना विधायक भेजने के लिए मजबूर कर दिया. ये तभी की बात है, जब नीतीश कुमार एनडीए के ही मुख्यमंत्री हुआ करते थे. हां, कास्ट सर्वे कराये जाने के दौरान नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री बन गये थे.
1. नीतीश कुमार का बिहार में लालू यादव या चिराग पासवान जैसा जातीय सपोर्ट भले न हो, लेकिन लव-कुश समीकरण के साथ साथ महादलित और ईबीसी के लिए नीतीश कुमार ने जो काम किया है, वो उनको बिहार की राजनीति में बरकरार रखे हुए है – और अब तो उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण लग रही है. कम से कम बिहार चुनाव तक तो ऐसा ही रहने वाला है.
2. नीतीश कुमार के मुकाबले बीजेपी ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को खड़ा करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन अब भी उनके लिए पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और आरजेडी को चैलेंज करना आसान नहीं है – ऐसे में नीतीश कुमार की अहमियत यूं भी बढ़ जाती है.
3. अंदर ही अंदर जो भी रणनीति तैयार की जा रही हो, लेकिन अब बीजेपी के लिए नीतीश कुमार को दरकिनार कर चुनाव मैदान में उतरना बहुत मुश्किल हो सकता है. फिर तो, विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार ही एनडीए के नेता बने रहेंगे. चुनाव बाद जो भी हो.
4. जाति जनगणना, असल में, ओबीसी वोटों की ही लड़ाई है. बीजेपी के सबसे बड़े ओबीसी नेता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव की तासीर बिल्कुल अलग होती है. वैसे भी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में भी बिहार में कोई बेहतर प्रदर्शन तो नहीं किया था.
5. ऐसे में जबकि बिहार की जातिगत गणना पर महागठबंधन में ही रार छिड़ी हुई है, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव आमने-सामने खड़े हो जा रहे हैं, नीतीश कुमार ऐसे माहौल में ज्यादा असरदार हो सकते हैं, इसलिए भी बीजेपी के लिए चुनावों तक उनके साथ एकनाथ शिंदे जैसा व्यवहार कर पाना मुश्किल होगा.
6. अब जबकि बीजेपी ने जाति जनगणना पर कदम आगे बढ़ा दिया है, नीतीश कुमार के लिए लालू यादव के साथ जाने के बंद पड़े रास्ते भी खुले लग रहे हैं – नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन में जाना भले न संभव हो, लेकिन प्रेशर पॉलिटिक्स के लिए काम तो आ ही सकता है.
7. केंद्र की एनडीए सरकार को समर्थन देकर नीतीश कुमार पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं, और अब जाति जनगणना पर उनके मन की बात हो जाने के बाद तो वो और भी प्रभावी हो जाएंगे – फिर तो बिहार में महाराष्ट्र एक्सपेरिमेंट लागू होने से रहा.