नेपाल के पत्रकार सुरेश रजक की संदिग्ध मौत को लेकर पत्रकार महासंघ (एफएनजे) ने सरकार से उच्चस्तरीय जांच समिति बनाने की मांग की है। रजक की मौत 28 मार्च को काठमांडू के टिंकुने क्षेत्र में उस समय हुई जब वहां हिंदू राजतंत्र की बहाली के लिए प्रदर्शन हो रहा था। बता दें कि पत्रकार संघ (एनएनजे) ने घटना के तुरंत बाद उपाध्यक्ष उमिद प्रसाद बगचंद की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति बनाई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि रजक की मौत कई सवाल उठाते हैं और इसके पीछे की सच्चाई जानने के लिए गहराई से जांच जरूरी है।
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जांच में उठे अहम सवाल
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि रजक का शव एक जलती हुई इमारत के अंदर मिला, जहां बाकी लोग बाहर निकल गए थे, लेकिन रजक अंदर ही रह गए क्यों? साथ ही रिपोर्ट में पूछा गया है कि अंतिम समय तक उनके आसपास कौन लोग मौजूद थे और वीडियो रिकॉर्डिंग कौन कर रहा था?
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि रजक का कैमरा गायब था और उनके दो मोबाइल में से एक क्षतिग्रस्त मिला। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर उन पर हमला किया क्योंकि वे विरोध को नजदीक से रिकॉर्ड कर रहे थे।
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पत्रकार संघ ने सुरक्षा को लेकर सरकार की आलोचना की
एफएनजे ने सरकार और मीडिया संस्थानों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की, जबकि रजक जैसे पत्रकार खतरनाक हालात में रिपोर्टिंग कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान टिंकुने इलाके में प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।
उन्होंने कांतिपुर टीवी, अन्नपूर्णा मीडिया नेटवर्क, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और भाटभटेनी सुपरमार्केट जैसे संस्थानों को निशाना बनाया। इसके सात ही रिपोर्ट में मांग की गई है कि जिन लोगों पर संदेह है, उन्हें हत्या के आरोप में अभियुक्त बनाकर कानूनी कार्रवाई की जाए।