ऑस्ट्रेलिया में शनिवार को आम चुनाव होने है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो संभवना तेज है कि इस बार विपक्षी नेता पीटर डटन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री बन सकते है और अगर ऐसा होता है तो यह 1931 के बाद पहली बार होगा जब किसी सरकार को केवल तीन साल के कार्यकाल के बाद ही सत्ता से हटाया जाएगा। बता दें कि पीटर डटन एक पूर्व पुलिस अधिकारी हैं, जो पहले गृह और रक्षा मंत्री रह चुके हैं। पीटर डटन खास तौर पर सीमा सुरक्षा पर कड़ा रुख अपनाने और चीन के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए पहचाने जाते हैं।
न्यूक्लियर एनर्जी से नेट जीरो का वादा
बात अगर पीटर डटन के चुनावी अभियान की करें तो, उन्होंने अपने चुनावी अभियान में वादा किया है कि वह 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य करने की दिशा में काम करेंगे, लेकिन यह लक्ष्य वह सौर या पवन ऊर्जा से नहीं, बल्कि न्यूक्लियर पावर से हासिल करना चाहते हैं।
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डटन परंपरा तोड़ करेंगे अमेरिका का दौर
ऑस्ट्रेलिया की परंपरा के अनुसार नया ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री सबसे पहले एशियाई देशों की यात्रा करता है, लेकिन डटन ने कहा है कि वह पहले अमेरिका जाएंगे और डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर ऑस्ट्रेलिया के लिए व्यापारिक फायदे की बात करेंगे।
चीन के खिलाफ डटन की आवाज बुलंद
ध्यान रहे कि डटन को चीन के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए पहचाना जाता है। 2019 में डटन ने चीन पर साइबर हमले और बौद्धिक संपत्ति की चोरी का आरोप लगाया था, जिससे चीन नाराज हो गया था। हालांकि वर्तमान प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के शासन में दोनों देशों के रिश्ते सुधरे हैं, लेकिन डटन का मानना है कि चीन को कड़ा जवाब देना ही सम्मान दिला सकता है।
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शरणार्थियों पर सख्त रुख रखते हैं डटन
डटन के कार्यकाल में ऑस्ट्रेलिया ने समुद्र के रास्ते आने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए ‘ऑपरेशन सॉवरेन बॉर्डर्स’ चलाया। इस दौरान अवैध नावों को रोका गया और शरणार्थियों को पापुआ न्यू गिनी और नाउरू जैसे छोटे देशों में बनाए गए शिविरों में भेजा गया। हालांकि डटन का मानना है कि उनके पुलिस के अनुभव ने उन्हें समस्या को जल्दी समझकर निपटने की क्षमता दी है।